Sunday, June 14, 2015

सब कुछ टांय-टांय फिस्स ही लग रहा है... #टांयटांयफिस्स ~~~हे त्रिलोकीनाथ !!

शुरुआत मे मोदी जी की सुद्रढ़ व विश्वासभरी आवाज़ से मैं बहुत प्रभावित था, और उनका एक बड़ा प्रशंशक भी था। लगता था कि अब कुछ नया व लीक से हटकर होगा...  राजनीति के नए अवतारी पुरुष मालूम पड़ते  थे।
दर्शक कि भांति।) सो आगामी परिणाम सतरंगी नजर आ रहे थे... कि चलो कोई तो कर्मठ पुरुष है जो राजनीति के सर्वोच्च पायदान पर पहुँचकर राजनीति में कमल खिलायगा एवं उसे एक नया आयाम देगा। एक नया शिल्पकार बनेगा। 

तमाम सारी चक्कलसबाजी / तुच्छ राजनीति से कोसों दूर एक संभ्रांत / संवेदनशील राजनीति लाएगा... पर काश!! ये  सब कुछ यथार्थ हो पाता... भई मैं तो बेहद निराश हुआ हूँ, पता नहीं आप किस हद तक संतुष्ट हो पाये हैं।

मसलन मोदी जी जिन बुनियादी समस्याओं को दूर करने व आधार मजबूत करने (जिनसे कि आम जनता का हमसबका सरोकार है) की बात करते थे, वो सब तो कुछ हो ही नहीं रहा है- उल्टा और पार्टीवाद / कुछ खास वर्गवाद के अलावा। बहुत सारी पैंतरेबाजी है जोकि साफ दिख रही है - हाँ यदि खुली आँखों से देखोगे तो।
शायद वह पथभ्रष्ट हो चुके हैं, या फिर ऐसा किए गये हैं- दबावबश । भगवान जाने__??
लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि अभी तक ऐसा कुछ खास हासिल नहीं हुआ, जैसा गद्दीपूर्व आमजन की मनोकामना थी।     लिहाजा परिस्थिति वैसी की वैसी ही है, उल्टा और बद्तर ही हो रही है। चाहे वो जो भी संदर्भ में  हो, हाल बेहाल है_ और स्वस्थ / सशक्त होने की बजाये । वही सब फिर पुरानी ढर्रे की राजनीति / चक्कलसबाजी चल रही है। कुछ भी खास नया व लीक से हटकर नहीं मिल रहा, जैसाकी  पूर्व में सोंचा गया था। फलस्वरूप सब कुछ टांय-टांय फिस्स ही लग रहा है

विश्वास नहीं हो रहा की ये सब मोदी जी जैसे शख्श के नेत्रत्व मे हो रहा। पर सच का घूंट तो पीना ही पड़ेगा, चाहे बदहज़मी भले हो जाए।  उदाहरण के लिए 100 SMART CITY वाली योजना को ही लीजिए - बात तो ठीक है, पर इससे पहले किसानों के देश में तो गाँव और खेती स्मार्ट होनी चाहिए.....पर मोदी जी को ये बात क्यों समझ नहीं आती। जोकि जमीनी-स्तर से जुड़े रहे हैं।

मोदी जी हम आपसे बहुत प्यार करते हैं, आपसे बहुत उम्मीद भी करते हैं - चूंकि आप जन-समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं / संवेदनशील हैं, और आप इन सब दौर से / जमीनी-स्तर से गुजरे भी हैं। उम्मीद करूंगा, की आप भारत माँ की बेहतर सेवा करने का यह अवसर व्यर्थ नहीं गवायेंगे, और हमें निराश नहीं करेंगें।


Tuesday, March 4, 2014

एक ऐसी चेतावनी जिसने एक नया इतिहास रचा।
एक ऐसा वाक्य जिसे सिर्फ निडर और ईमानदार ही गर्व के साथ बोल सकते हैं।
एक ऐसी सोच जो खुद को खुदी से स्वतंत्र मानती है।
एक ऐसा प्रयास जिसमें सभी की परेशानियों का हल निकले।
एक ऐसा समूह जो इस बात पर विश्वास करता है, कि दूसरों की समस्या हल करने से अपनी समस्या खुद-ब-खुद हल हो जाती है।
एक ऐसी आस्था जो हिन्दू – मुसलमान पे नही झगड़ती, बल्कि उनको एक रखने पे विश्वास करती है।
एक ऐसा उद्देश्य जो पहले भारत को नही अपितु खुद को महान बनाना चाहता है।
एक ऐसा विचार जो पूर्णतया सात्विक व स्रजनात्मक है।
एक ऐसा सपना जो अल्लाह की नमाज में ओउम की झंकार और मंदिर की घंटी में अल्लाहअकबर की गूँज पिरोना चाहता है।
एक ऐसी शुरुआत जिसके नसीब में अन्त नही है।
एक ऐसा प्रार्थी जो सबसे इंसानियत की अपेक्षा रखता है।
एक ऐसी दुआ जो सिर्फ यह चाहती है –
                        सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामय:

                        सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दु:ख भाग-भवेत ।।

Sunday, March 2, 2014

कितने आजाद हैं हम ?

बचपन से ही हमारे लिए आजादी के मायने अलग अलग किस्म से परिभाषित होते रहते हैं। हमें समझाया जाता है कि हम आजाद हिन्दुस्तान के आजाद नागरिक हैं। हमें कुछ भी करने की, कुछ भी कहने की, कुछ भी सोचने की पूरी आजादी है। हम जब मर्जी, जो मर्जी वही कर सकते हैं बशर्तें जो कर रहे हों वह गैर कानूनी न हो। लेकिन सवाल है क्या ऐसा वाकई है?  क्या हमारा समाज हमारे विचारों को व्यक्त करने की आजादी देता है? ऐसे कई सवाल हैं जो हमें हमेशा परेशान करते है।     हमारे लिए आजादी शायद आज भी चहारदीवारी में कैद है। हम माता-पिता के अनुसार कैरियर चुनते हैं, समाज के हिसाब से दोस्त तय करते हैं और पड़ोसी के डर से उनसे ऊंची बात नहीं करते। यह सब बातें यह दर्शाती है, कि बेशक आप आजाद भारत के आजाद नागरिक हैं, लेकिन मानसिक रूप से आप आज तक गुलाम बने हुए हैं। 
जरूरी हो चुका है युवा पीढ़ी के लिए.. कि वे अब आगे आएं, अपने कर्तव्यों को समझें.. और राष्ट्र को एक नया रूप दें। जिससे राष्ट्र आंगन पर फैला सारा तमस दूर हो सके और सब अपने मन मंदिर की आत्म गूंज लिए एक साथ जागृत होकर  ’तमसोमाज्योतिर्गमय‘ (मुझे अंधेरे से आलोक की ओर ले चलो) की पुकार कर सकें। 
युवाओं से इसी संदर्भ में कहना चाहूंगा-

"पुकारे राष्ट्र आज तुम्हें युवा वीर ओ, अब तो जागो,
गुजरे – मिले आजादी को साल कई अब देखो आगे – पीछे मत भागो।"