Tuesday, March 4, 2014

एक ऐसी चेतावनी जिसने एक नया इतिहास रचा।
एक ऐसा वाक्य जिसे सिर्फ निडर और ईमानदार ही गर्व के साथ बोल सकते हैं।
एक ऐसी सोच जो खुद को खुदी से स्वतंत्र मानती है।
एक ऐसा प्रयास जिसमें सभी की परेशानियों का हल निकले।
एक ऐसा समूह जो इस बात पर विश्वास करता है, कि दूसरों की समस्या हल करने से अपनी समस्या खुद-ब-खुद हल हो जाती है।
एक ऐसी आस्था जो हिन्दू – मुसलमान पे नही झगड़ती, बल्कि उनको एक रखने पे विश्वास करती है।
एक ऐसा उद्देश्य जो पहले भारत को नही अपितु खुद को महान बनाना चाहता है।
एक ऐसा विचार जो पूर्णतया सात्विक व स्रजनात्मक है।
एक ऐसा सपना जो अल्लाह की नमाज में ओउम की झंकार और मंदिर की घंटी में अल्लाहअकबर की गूँज पिरोना चाहता है।
एक ऐसी शुरुआत जिसके नसीब में अन्त नही है।
एक ऐसा प्रार्थी जो सबसे इंसानियत की अपेक्षा रखता है।
एक ऐसी दुआ जो सिर्फ यह चाहती है –
                        सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामय:

                        सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दु:ख भाग-भवेत ।।

Sunday, March 2, 2014

कितने आजाद हैं हम ?

बचपन से ही हमारे लिए आजादी के मायने अलग अलग किस्म से परिभाषित होते रहते हैं। हमें समझाया जाता है कि हम आजाद हिन्दुस्तान के आजाद नागरिक हैं। हमें कुछ भी करने की, कुछ भी कहने की, कुछ भी सोचने की पूरी आजादी है। हम जब मर्जी, जो मर्जी वही कर सकते हैं बशर्तें जो कर रहे हों वह गैर कानूनी न हो। लेकिन सवाल है क्या ऐसा वाकई है?  क्या हमारा समाज हमारे विचारों को व्यक्त करने की आजादी देता है? ऐसे कई सवाल हैं जो हमें हमेशा परेशान करते है।     हमारे लिए आजादी शायद आज भी चहारदीवारी में कैद है। हम माता-पिता के अनुसार कैरियर चुनते हैं, समाज के हिसाब से दोस्त तय करते हैं और पड़ोसी के डर से उनसे ऊंची बात नहीं करते। यह सब बातें यह दर्शाती है, कि बेशक आप आजाद भारत के आजाद नागरिक हैं, लेकिन मानसिक रूप से आप आज तक गुलाम बने हुए हैं। 
जरूरी हो चुका है युवा पीढ़ी के लिए.. कि वे अब आगे आएं, अपने कर्तव्यों को समझें.. और राष्ट्र को एक नया रूप दें। जिससे राष्ट्र आंगन पर फैला सारा तमस दूर हो सके और सब अपने मन मंदिर की आत्म गूंज लिए एक साथ जागृत होकर  ’तमसोमाज्योतिर्गमय‘ (मुझे अंधेरे से आलोक की ओर ले चलो) की पुकार कर सकें। 
युवाओं से इसी संदर्भ में कहना चाहूंगा-

"पुकारे राष्ट्र आज तुम्हें युवा वीर ओ, अब तो जागो,
गुजरे – मिले आजादी को साल कई अब देखो आगे – पीछे मत भागो।"