Sunday, March 2, 2014

कितने आजाद हैं हम ?

बचपन से ही हमारे लिए आजादी के मायने अलग अलग किस्म से परिभाषित होते रहते हैं। हमें समझाया जाता है कि हम आजाद हिन्दुस्तान के आजाद नागरिक हैं। हमें कुछ भी करने की, कुछ भी कहने की, कुछ भी सोचने की पूरी आजादी है। हम जब मर्जी, जो मर्जी वही कर सकते हैं बशर्तें जो कर रहे हों वह गैर कानूनी न हो। लेकिन सवाल है क्या ऐसा वाकई है?  क्या हमारा समाज हमारे विचारों को व्यक्त करने की आजादी देता है? ऐसे कई सवाल हैं जो हमें हमेशा परेशान करते है।     हमारे लिए आजादी शायद आज भी चहारदीवारी में कैद है। हम माता-पिता के अनुसार कैरियर चुनते हैं, समाज के हिसाब से दोस्त तय करते हैं और पड़ोसी के डर से उनसे ऊंची बात नहीं करते। यह सब बातें यह दर्शाती है, कि बेशक आप आजाद भारत के आजाद नागरिक हैं, लेकिन मानसिक रूप से आप आज तक गुलाम बने हुए हैं। 

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