Tuesday, March 4, 2014

एक ऐसी चेतावनी जिसने एक नया इतिहास रचा।
एक ऐसा वाक्य जिसे सिर्फ निडर और ईमानदार ही गर्व के साथ बोल सकते हैं।
एक ऐसी सोच जो खुद को खुदी से स्वतंत्र मानती है।
एक ऐसा प्रयास जिसमें सभी की परेशानियों का हल निकले।
एक ऐसा समूह जो इस बात पर विश्वास करता है, कि दूसरों की समस्या हल करने से अपनी समस्या खुद-ब-खुद हल हो जाती है।
एक ऐसी आस्था जो हिन्दू – मुसलमान पे नही झगड़ती, बल्कि उनको एक रखने पे विश्वास करती है।
एक ऐसा उद्देश्य जो पहले भारत को नही अपितु खुद को महान बनाना चाहता है।
एक ऐसा विचार जो पूर्णतया सात्विक व स्रजनात्मक है।
एक ऐसा सपना जो अल्लाह की नमाज में ओउम की झंकार और मंदिर की घंटी में अल्लाहअकबर की गूँज पिरोना चाहता है।
एक ऐसी शुरुआत जिसके नसीब में अन्त नही है।
एक ऐसा प्रार्थी जो सबसे इंसानियत की अपेक्षा रखता है।
एक ऐसी दुआ जो सिर्फ यह चाहती है –
                        सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामय:

                        सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दु:ख भाग-भवेत ।।

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