Sunday, March 2, 2014

जरूरी हो चुका है युवा पीढ़ी के लिए.. कि वे अब आगे आएं, अपने कर्तव्यों को समझें.. और राष्ट्र को एक नया रूप दें। जिससे राष्ट्र आंगन पर फैला सारा तमस दूर हो सके और सब अपने मन मंदिर की आत्म गूंज लिए एक साथ जागृत होकर  ’तमसोमाज्योतिर्गमय‘ (मुझे अंधेरे से आलोक की ओर ले चलो) की पुकार कर सकें। 
युवाओं से इसी संदर्भ में कहना चाहूंगा-

"पुकारे राष्ट्र आज तुम्हें युवा वीर ओ, अब तो जागो,
गुजरे – मिले आजादी को साल कई अब देखो आगे – पीछे मत भागो।"

No comments:

Post a Comment